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Thursday, December 17, 2009
घीसू और माधव
आजकल फिर प्रेम चंद का मशहूर कफ़न पढ़ना शुरू किया...जब मैं अपने देश में हिंदी पढ़ती थी, उस वक्त पहली मुलाक़ात हुई थी मेरी, घीसू और माधव से। लगता है कि प्रेम चंद के लफ्स बार-बार पढ़कर आजकल एक और, एक ख़ास, और पहले से अलग अहसास और असर मेरे अंदर पैदा करते रहते है। पढ़ने में, लगता है कि ज्यों-ज्यों घीसू और माधव अचानक असली व्यक्ति होते जा रहे हैं। जैसे उनकी शकल मेरे तरफ फोकस्ड हैं, जैसे मेरे तरफ देखते रहते है और घूरते रहते है, जैसे रोज़ मेरी तरफ होता है, जब मैं हजरतगंज या चौक या अमीनाबाद के मोहल्ले में घुमा करती हूँ। लगता है कि हर दिन मैं घीसू और माधव कि नज़र से मिलती हूँ, हज़ारों एकदम हिन्दुस्तानी आँखों से माधव और घीसू कि तस्वीर नजर आती हैं। यह तो एक बिलकुल पूरानी कहानी है, स्थितियां पूरानी, एक पुराना ज़माना और शायद एक पूर्व ज़माना...या यूं कहूँ "शायद ही एक पुराना या पूर्व ज़माना"
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मन से पढ़ा है आपने कफन को ! अमर कृति है यह प्रेमचंद की ।
ReplyDeleteप्रविष्टि का आभार ।
पढ कर मुझे भी फिर से कफन पढने का मन करने लगा.जरूर मिलते होंगे आपको माधव वगैरह क्योंकि वे यहीं से उठा कर तो रचे गये थे.
ReplyDeleteप्रेमचंद जी की रचनाओं की यही तो खूबी है। पात्र उनके यहीं के हैं और यह विडंबना है भारत की कि हम उन्हें यहां से जाने ही नहीं देते हैं।
ReplyDeleteवैसे शब्द पुष्टिकरण हटाया जायेगा तो टिप्पणी में लगने वाला समय निश्चित ही घट जायेगा। कैसे हटायें जानने के लिए मुझे मेल कर सकती हैं।
कालजयी रचना सदैव अपना प्रभाव बनाये रहती है ..
ReplyDeleteGuten tag Giorgia, नमस्कार हम परिवार समेत जर्मन मुनिख मै रहते है, ओर हम भारत से है, अगर इच्छा हो तो हमारे संग समपर्क कर सकती हो, मेरा ई मेल आप को मेरे ब्लांग पर मिल जायेगा
ReplyDeleteaapki nazar inn gheesu aur madhav se milti hi rahegi kyuki premchand ne bhi inn hindustanio ko do insaano mein wyakt kiya hai...
ReplyDeleteकहां खो गईं आप.....Where are you?
ReplyDeleteआपका हिन्दी प्रेम देखकर मन अभिभूत हुआ। हिन्दी में ब्लॉग लेखन की निरंतरता को आप बनाए रखें। अगर आपने "www.blogvani.com" पर अबतक अपने इस ब्लॉग को रजिस्टर ना कराया हो तो करा लें, इससे आपके ब्लॉग की पहुंच अन्य हिन्दी प्रेमियों तक बढ़ जाएगी।
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित.....
alg alg antralo pr hme ghisu aur madho alg alg andaj me milte rhte hai.
ReplyDeleteउबेर कप के बारे में :
ReplyDeletehttp://ishwarkag.blogspot.in/2016/05/blog-post_38.html