मुझको नहीं पता कि लुक्नाऊ में एक रानी जीती थी। और उनका एक महल नहीं लेकिन दो महल थे । मैं सिर्फ एक अजनबी हूँ तो मैं जान नहीं सकती महाल कि अंदर सही-सही क्या क्या हो रहा है। फिर भी मुझको उत्सुकता हो रही है। बहार से मैं देखती हूँ कि महल के आसपास काफी मजबूत आदमी फिर रहे है, fancy and flashy अम्बसदोर गाड़ी चल रही हैं, काफी लोग अन्दर सफाई कर रही है और महाल पर बहुत कम हो रहा है।
हमारे यहाँ की कहानियें में, रानियाँ कभी ज़ालिम कभी अच्छी हो सकती हैं। अगेर वह ज़ालिम होती तो उनका ज़ुल्म कल्पना के बहार होता। आमतौर पर, fairytales में, ज़ालिम रानी की बेटी भी होती है, लेकिन वह हमेशा एक पूर्व पत्नी की है। वह बेटी बहुत खुबसुरत होती है, और आखिर में, उसके घोड़े पर चलते हुए वीर की मदद से ज़ालिम रानी की महल से बच सकती है।
Jungian psychology के मुताबिक, ज़ालिम रानी और मासूम बेटी, हमारे अंदर एकी हो सकेगी। यह evident मतलब है कि हम एकी वक्त में, ज़ालिम या/और मासूम हो सकते है, और औसी ही होना भी चाहियी।
हिन्दुस्तान में यह opposites एकी चीज़ में बहुत मिलतीं है - जैसे लुक्नाऊ - शानदार शहर है, इतनी सुंदर इमारतें या दिलचस्प धरोहर और इतिहास भी लेकिन एकी वक्त में, ज़बरदस्त इमारतों के पास कचिरा इधर-उधर फीका हुआ है। हिन्दुस्तान एक बिलकुल ज़बरदस्त, ज़ालिम, शानदार, गन्दा, खुबसूरत, पागल, बढ़िया, भयानक, बिंदास देश है। और क्या?
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सब कुछ तो हमारे अंदर ही है - कुछ जागृत, कुछ सुप्त !
ReplyDeleteजिनके बाहर आने का वातावरण, परिस्थिति निर्मित होती है - वो भावनायें, विचार, आदतें, स्वभाव - बाहर आ जाते हैं; बाकी दम साधे मौन पड़े रहते हैं ।
सच में भारत विपरीतताओं में छुपे सामंजस्य का नाम ही है ।
सच का अनुभव सांगोपांग अर्थों वाला ही होता है ।
ReplyDeleteहिन्दी मे किया गया आपका प्रयास अन्य भाषियों के लिये प्रेरणादायी होगा । आभार ।
आपकी बात सच है. भारत एक साथ ही बहुत कुछ हो सकता है. भारत अपने आप में एक सम्पूर्ण गृह है जिसमें वह सब मिलेगा जो पृथ्वी पर कहीं न कहीं मिले और वह भी मिलेगा जो पृथ्वी पर और कहीं न मिले.
ReplyDeleteहा हा हा!
ReplyDeleteभारत मूर्तिमान शंकर है।
शंकर समाज ऐसा ही होगा।
:)
ReplyDeleteये बिलकुल सही कहा आपने.. "हिन्दुस्तान एक बिलकुल ज़बरदस्त, ज़ालिम, शानदार, गन्दा, खुबसूरत, पागल, बढ़िया, भयानक, बिंदास देश है।" :)
ReplyDeleteमजेदार है!
ReplyDeleteहा हा हा बिलकुल सही कहा मेरे/हमारे /अपने देश के बारे मे.फिर भी कुछ बात तो है कि.....हस्ती मिटती नही हमारी,हमारे कल्चर की
ReplyDeleteHehe! Sahi baat hai :)
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